सिंधिया पर बरसे कांग्रेस के कई नेता, ऐसे लोग जितनी जल्दी पार्टी छोड़ें, उतना अच्छा-अशोक गहलोत

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कांग्रेस पार्टी के कई नेताओं ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के मंगलवार को पार्टी छोड़ने के फैसले की जमकर आलोचना की। सिंधिया पर जनता का भरोसा तोड़ने का आरोप लगाकर बरसते हुए कांग्रेस नेताओं ने कहा कि ‘विचारधारा’ की जगह पर ज्योतिरादित्य ने ‘निजी महत्वाकांक्षा’ को चुना।

सिंधिया के इस्तीफे पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि सिंधिया ने पार्टी का भरोसा तोड़ा। ऐसे लोग जितनी जल्दी पार्टी छोड़ दें, उतना ही अच्छा होगा।

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए विचारधारा मायने नहीं रखती है और दावा किया कि राजनीतिक सुविधा तथा  निजी महत्वाकांक्षा ने पार्टी छोड़ने के उनके फैसले में एक अहम भूमिका निभाई।

चौधरी ने आरोप लगाया कि भाजपा द्वारा पेशकश किए गए किसी तरह के प्रलोभन ने सिंधिया को कांग्रेस छोड़ कर जाने के लिए राजी किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के लिए यह दुखद खबर है क्योंकि ज्योतिरादित्य सिंधिया को बरसों तक पार्टी ने सींचा था।

लोकसभा में कांग्रेस के नेता चौधरी ने कहा कि पार्टी ने उन्हें महत्वपूर्ण काम सौंपे थे। लेकिन अब इस तरह की स्थिति है कि उन्होंने दूसरी पार्टी में जाना ज्यादा सुविधापूर्ण पाया।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सिंधिया पर लोगों और विचारधारा के विश्वास को धोखा देने का आरोप लगाते हुए कहा कि उनके जैसे लोग सत्ता के बिना कामयाब नहीं हो सकते और जितनी जल्दी वे निकलेंगे, उतना अच्छा है।

गहलोत ने ट्वीट कर कहा कि राष्ट्रीय संकट के समय में भाजपा के साथ हाथ मिलाना एक नेता की विलासी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के बारे में बताता है, खासकर जब भाजपा अर्थव्यवस्था, लोकतांत्रिक संस्थानों, सामाजिक ताने-बाने और न्यायपालिका को बर्बाद कर रही है।

हरियाणा कांग्रेस नेता और विधायक कुलदीप बिश्नोई ने सिंधिया के पार्टी से इस्तीफा देने पर कहा कि सिंधिया का कांग्रेस से जाना पार्टी के लिए बड़ा झटका है। उन्होंने कहा कि वह पार्टी में केंद्रीय स्तंभ थे और पार्टी नेतृत्व को उन्हें मनाने के लिए अधिक प्रयास करने चाहिए थे। उनकी तरह, देश भर में कई अन्य समर्पित कांग्रेस नेता हैं जो अलग-थलग, बर्बाद और असंतोष महसूस करते हैं।

बिश्नोई ने कहा कि भारत की सबसे पुरानी पार्टी को कड़ी मेहनत करने और जनता के साथ प्रतिनिधित्व करने की क्षमता रखने वाले युवा नेताओं को सशक्त बनाने की जरूरत है।

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